बीजिंग/वॉशिंगटन: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा BRICS देशों को दी गई धमकी पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीन ने साफ शब्दों में कहा कि BRICS किसी के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह उभरते बाजारों और विकासशील देशों के बीच सहयोग बढ़ाने का एक मंच है।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने सोमवार को बीजिंग में पत्रकारों से कहा,
“BRICS टकराव या प्रतिस्पर्धा के लिए नहीं है। इसका उद्देश्य समावेशिता, साझेदारी और सभी के लिए लाभ सुनिश्चित करना है।”
माओ निंग की यह टिप्पणी ट्रंप के उस बयान के बाद आई, जिसमें उन्होंने BRICS की अमेरिका-विरोधी नीतियों का समर्थन करने वाले देशों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की धमकी दी थी।
ट्रंप की धमकी क्या थी?
रविवार रात को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा:
“BRICS की अमेरिका-विरोधी नीतियों से जुड़ने वाले किसी भी देश पर 10% अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा। इसमें कोई अपवाद नहीं होगा।”
इसके साथ ही ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका सोमवार, 7 जुलाई से विभिन्न देशों को ‘शुल्क पत्र’ और/या व्यापार समझौते’ भेजेगा, जो पूर्वी समयानुसार दोपहर 12:00 बजे से वितरित किए जाएंगे।
BRICS में कौन-कौन हैं?
ब्रिक्स मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का समूह था। 2024 में इसका विस्तार हुआ और मिस्र, इथियोपिया, ईरान, और संयुक्त अरब अमीरात को इसमें शामिल किया गया। इसके बाद इंडोनेशिया भी 2025 में BRICS में शामिल हो गया।
क्यों बढ़ा तनाव?
BRICS देशों ने हाल ही में एक संयुक्त बयान में बिना ट्रंप का नाम लिए अमेरिका की संरक्षणवादी नीतियों और दादागिरी की आलोचना की थी। इसके जवाब में ट्रंप ने यह धमकी दी।
अब चीन के बयान से यह स्पष्ट है कि बीजिंग BRICS को एक सकारात्मक और समावेशी मंच के रूप में प्रस्तुत करना चाहता है, जबकि ट्रंप इसे अमेरिका के खिलाफ बनते गठबंधन के रूप में देख रहे हैं।