कोटा : राजस्थान के कोटा में डेंगू के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. कोटा में डेंगू के जानलेवा होने से कोटा प्रशासन लगातार इसकी रोकथाम के प्रयास कर रहा है. वहीं अभी तक डेंगू के कारण 6 लोगों की मौत हो चुकी है.कोटा समेत प्रदेश में फैल रहे डेंगू के प्रकोप के बाद एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर की जांच ने डेंगू के घातक स्ट्रेन के एक्टिव होने की पुष्टि की है. डेंगू के डी-2 स्ट्रेन की वजह से मृत्युदर अन्य स्ट्रेन से ज्यादा है. इसकी चपेट में आने से डेंगू शॉक सिंड्रोम व डेंगू हेमेंरेजिक सिंड्रोम हो जाते है. इस कारण मरीज के लिवर व किडनी पर असर पड़ने लगता है.
मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. मनोज सालूजा ने बताया कि इस स्ट्रेन के कारण फेफड़े व पेट के आसपास पानी भरने लगता है. शरीर पर सूजन आने लगती है. पेशाब की मात्रा कम हो जाती है. इनमें स्ट्रेन डी-2 सबसे घातक साबित हो रहा है. बाकी तीनों स्ट्रेन से होने वाला फीवर सामान्य डेंगू फीवर होता है. यह तेजी से फैलता है और प्लेटलेट्स भी तेजी से गिरती है. इसमें शुरू के 4 दिन तेज बुखार आता है, बुखार के साथ सिर दर्द, उल्टी, बदन दर्द की शिकायत होती है. चौथे दिन से प्लेटलेट्स तेजी से गिरना शुरू हो जाती है जो घातक होती चली जाती है और मल्टी ऑर्गन पर भी असर होने लगता है.
कोटा में अब तक 400 से ज़्यादा डेंगू के मरीज सामने आ चुके हैं शहर में मौसमी बीमारियों की रोकथाम के बारे में स्थिति देखने कलेक्टर ओपी बुनकर स्वयं शहर में घूम रहे हैं. उन्होंने जवाहर नगर, महावीर नगर, तलवंडी में जाकर चिकित्सा विभाग के प्रयासों का निरीक्षण किया. घरों में जाकर कूलर, पानी भराव वाले स्थान का निरीक्षण किया.