बीकानेर: अभी तक आपने इस्लाम धर्म की मजलिसों में होने वाली तकरीरों और नातख्वानी को उर्दू जबान में ही सुना होगा. लेकिन आपको अगर इस्लाम धर्म के किसी कार्यक्रम में संस्कृत भाषा सुनने को मिले और वो भी इस्लाम के आखिरी पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब की शान में नात पढ़ी जाए तो आपको कैसा महसूस होगा. शायद आप हैरत में पड़ जाएंगे. मगर बीकानेर में ऐसा ही हो रहा है. यहां कई सालों से संस्कृत भाषा में मुहम्मद साहब की तारीफ में नात कही जा रही है.
सागरीय संस्कृति वाले शहर बीकानेर के मुहल्ला दमामियान में किसी भी इस्लामी जलसे की शुरुआत हजरत मुहम्मद साहब की शान में संस्कृत में पढ़ी जाने वाली नात से ही होती है. खास बात ये है कि इसे पढ़ने वाले सभी लोग मदरसे से शिक्षित हैं. यहां के लोगों को नज्मी मियां की कही नात कंठस्थ है. ‘नात’ का मतलब है इस्लाम के आखिरी नबी हजरत मुहम्मद साहब की शान को बयान करना होता है. दुनिया की हर जबान में हजरत मुहम्मद साहब की तारीफ में नात कही जाती है. हमारे देश में भी नातख्वानी के महफिलें अक्सर देखने को मिलती हैं.
संस्कृत में नात पढ़ने वाले नातख्वां अलीमुद्दीन बताते हैं कि जब इस नात को पढ़ा जाता है तो मुस्लिम ही नहीं सनातन धर्म को मानने वाले अकीदतमंद भी भाव-विभोर हो जाते हैं और झूमने लगते हैं. बीकानेर स्थित लालेश्वर महादेव मन्दिर के अधिष्ठाता रहे ब्रह्मलीन स्वामी सोमगिरि महाराज को याद करते हुए वे बताते हैं कि जब पहली बार उन्होंने इस नात को सुना तो वे ताअज्जुब से देखने लगे और बाद में जब भी किसी कार्यक्रम में शामिल होते तो उनकी फरमाइश इस नात की रहती थी.