राजस्थान की सियासत में बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव का माहौल अब पूरी तरह गरमा गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद जैन भाया के नामांकन के ठीक अगले दिन, पार्टी से बागी हुए युवा नेता नरेश मीणा ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल कर राजनीतिक समीकरणों को नया मोड़ दे दिया है।
नरेश मीणा की एंट्री से इस चुनावी मैदान में अब त्रिकोणीय मुकाबला तय हो गया है। कांग्रेस खेमे में वोटों के बंटवारे की आशंका गहराने लगी है, जबकि बीजेपी के लिए यह स्थिति रणनीतिक तौर पर फायदेमंद साबित हो सकती है।
🗳️ परिवार संग दाखिल किया नामांकन
निर्वाचन प्रक्रिया के दूसरे दिन, नरेश मीणा अपने समर्थकों और परिजनों के साथ अंता के एसडीएम कार्यालय पहुंचे और रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।
नामांकन के दौरान उनके पिता, माता, पत्नी और दोनों बेटे भी मौजूद रहे — जिससे यह नामांकन केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप से भी मजबूत संदेश देता दिखाई दिया।
नामांकन से पहले मीणा ने समर्थकों के साथ एक शक्ति प्रदर्शन रैली भी निकाली, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण, किसान और युवा वर्ग मौजूद रहे।
🎙️ “मैं जनता की आवाज़ बनना चाहता हूं”
नामांकन के बाद मीडिया से बातचीत में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने कहा —
“मैं यह चुनाव किसी निजी स्वार्थ के लिए नहीं लड़ रहा हूं। यह लड़ाई अंता की जनता, गरीबों और किसानों के अधिकारों के लिए है। मैं उन लोगों की आवाज़ बनना चाहता हूं, जिनकी अनदेखी सालों से की जा रही है।”
मीणा का यह बयान स्पष्ट संकेत देता है कि वे न केवल कांग्रेस नेतृत्व से नाराज़ हैं, बल्कि अब सीधे तौर पर स्थापित राजनीतिक दलों को चुनौती देने के मूड में हैं।
⚖️ अंता में अब त्रिकोणीय जंग
अंता सीट पर अब तीन ध्रुव स्पष्ट रूप से बन गए हैं —
कांग्रेस: प्रमोद जैन भाया (अनुभवी और क्षेत्र में मजबूत पकड़ वाले नेता) निर्दलीय: नरेश मीणा (कांग्रेस बागी, युवाओं और मीणा-धाकड़ वोट बैंक में प्रभावशाली) बीजेपी: अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं, लेकिन पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी का नाम चर्चा में है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मीणा की निर्दलीय दावेदारी से कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक दो हिस्सों में बंट सकता है, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा।
⚙️ बीजेपी पर टिकट का दबाव
कांग्रेस के भीतर दो बड़े गुट आमने-सामने आने से अब बीजेपी पर भी जल्द उम्मीदवार घोषित करने का दबाव बढ़ गया है।
विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी मीणा समुदाय से किसी मजबूत स्थानीय चेहरे को टिकट देकर मैदान में उतार सकती है ताकि त्रिकोणीय मुकाबले का फायदा उठाया जा सके।
🔍 नतीजा किसके पक्ष में?
अंता उपचुनाव का यह समीकरण अब पूरी तरह से बदल चुका है। कांग्रेस को अपने ही बागी से खतरा है, बीजेपी रणनीतिक इंतज़ार में है, और जनता उत्सुक है कि इस ‘महामुकाबले’ में आख़िर जनता की जीत किस रूप में सामने आती है।