जैसलमेर में हुए दर्दनाक बस अग्निकांड ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस हादसे में अब तक 22 लोगों की जान जा चुकी है। जांच में खुलासा हुआ कि जिस बस में आग लगी थी, उसकी बॉडी जोधपुर के मोगरा स्थित जैनम कोच क्राफ्टर्स वर्कशॉप में बनाई गई थी। एनडीटीवी की टीम ने जब इस वर्कशॉप का निरीक्षण किया, तो कई चौंकाने वाली खामियां सामने आईं।
वर्कशॉप में बसों का निर्माण चेसिस से शुरू होता है। पहले लोहे का फ्रेम तैयार किया जाता है, फिर सीटें, केबिन और अन्य ढांचे जोड़े जाते हैं। हादसे के बाद परिवहन विभाग ने इस वर्कशॉप में खड़ी 66 बसों को सीज कर दिया है। जांच पूरी होने तक ये सभी बसें वहीं रहेंगी।
जांच के दौरान विशेषज्ञों ने पाया कि बसों में इमरजेंसी गेट बेहद संकरा है और सीटों के बीच से होकर निकलता है, जिससे आपात स्थिति में बाहर निकलना मुश्किल होता है। नियमों के अनुसार सभी इमरजेंसी गेट बाहर की ओर खुलने चाहिए, लेकिन इन बसों में गेट अंदर की ओर खुलते हैं — जो सुरक्षा मानकों का सीधा उल्लंघन है।
इसके अलावा, बस का रजिस्ट्रेशन नॉन-एसी वाहन के रूप में हुआ था, लेकिन बाद में उसमें एसी लगाया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि एसी की अतिरिक्त वायरिंग और बढ़े हुए बिजली लोड ने भी हादसे में भूमिका निभाई हो सकती है।
जोधपुर के जिला परिवहन अधिकारी पी.आर. जाट ने बताया कि 66 बसों को फिलहाल सीज किया गया है और जांच क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी आकांक्षा बैरवा की अगुवाई में जारी है। सभी बसों पर जीआई टैगिंग की गई है। उन्होंने कहा कि यदि अन्य बसों में भी खामियां पाई गईं, तो सख्त कार्रवाई से पीछे नहीं हटेंगे।