भारत के मशहूर ऐडमेकर और पद्मश्री सम्मानित विज्ञापन विशेषज्ञ पीयूष पांडे का 70 वर्ष की उम्र में गुरुवार, 23 अक्टूबर को निधन हो गया। चार दशक से अधिक के अपने करियर में उन्होंने भारतीय विज्ञापन जगत को नई दिशा दी और ऐसे यादगार विज्ञापन बनाए जो आज भी लोगों की जुबान पर हैं।
फेविकोल का “टूटेगा नहीं”, कैडबरी का “कुछ खास है”, एशियन पेंट्स का “हर खुशी में रंग लाए” और हच का “व्हेयरएवर यू गो, आवर नेटवर्क फॉलोज़” जैसे विज्ञापन पीयूष पांडे की रचनात्मकता के प्रतीक बन गए। उन्होंने 2014 में बीजेपी के लिए चर्चित नारा “अबकी बार, मोदी सरकार” भी दिया था।
पीयूष पांडे का जन्म 1955 में जयपुर, राजस्थान में हुआ था। उनके पिता राजस्थान स्टेट कोऑपरेटिव बैंक में कार्यरत थे। नौ भाई-बहनों वाले इस बड़े परिवार में पले-बढ़े पीयूष ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में एमए किया और 1982 में ओगिल्वी इंडिया के साथ विज्ञापन की दुनिया में कदम रखा।
उनके नेतृत्व में ओगिल्वी इंडिया ने लगातार 12 वर्षों तक भारत की नंबर 1 विज्ञापन एजेंसी का दर्जा बनाए रखा। अंग्रेज़ी विज्ञापनों के दौर में उन्होंने भारतीय भाषाओं और भावनाओं को केंद्र में रखकर विज्ञापन जगत को एक नई पहचान दी।
व्यावसायिक विज्ञापनों के अलावा, उन्होंने ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ जैसे राष्ट्रीय एकता गीत और पोलियो जागरूकता तथा धूम्रपान विरोधी जैसे सामाजिक अभियानों में भी अहम भूमिका निभाई।
उनके निधन पर देशभर के कलाकारों, लेखकों और विज्ञापन पेशेवरों a ने गहरा शोक व्यक्त किया। लेखक सुहेल सेठ ने सोशल मीडिया पर लिखा —
“भारत ने सिर्फ एक महान विज्ञापन विशेषज्ञ ही नहीं, बल्कि एक सच्चे देशभक्त और अद्भुत इंसान को खो दिया है। अब जन्नत में भी गूंजेगा — ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’।”
फिल्ममेकर हंसल मेहता ने श्रद्धांजलि देते हुए लिखा,
“फेविकोल का जोड़ टूट गया। विज्ञापन जगत ने आज अपनी चमक खो दी। पीयूष पांडे, आप हमेशा याद आएंगे।”
