देवउठनी एकादशी: देवउठनी एकादशी की शुरुआत आज से हो गई है. इस बार 21 दिनों के अंदर विवाह के कुल 19 मुहूर्त है. इसके बाद 16 दिसंबर से खरमास पक्ष शुरू हो जाएगा, जो 15 दिसंबर मकर संक्राति को खत्म होगा. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी पड़ती है. हिंदू धर्म में इस दिन को बेहद खास माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप के साथ माता तुलसी का विवाह भी किया जाता है. इस साल अतिरिक्त मास के कारण एकादशी तिथि दो दिन पड़ने से तुलसी विवाहऔर देवउठनी एकादशी की तारीख को लेकर लोगों के बीच संशय बना हुआ था.
इस साल 23 नवंबर 2023 को देवउठनी एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु 5 माह की निद्रा के बाद जागेंगे। इसके बाद से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। देवउठनी एकादशी पर ही रात में शालिग्राम जी और तुलसी माता का विवाह होता है।
देवउठनी एकादशी पूजा विधि –
देवउठनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद भगवान विष्णु जी की पूजा करते हुए व्रत का संकल्प लें।
1. श्री हरि विष्णु की प्रतिमा के समक्ष उनके जागने का आह्वान करें।
2. सायं काल में पूजा स्थल पर घी के 11 दीये देवी-देवताओं के समक्ष जलाएं।
3. यदि संभव हो पाए तो गन्ने का मंडप बनाकर बीच में विष्णु जी की मूर्ति रखें।
4. भगवान हरि को गन्ना, सिंघाड़ा, लड्डू, जैसे मौसमी फल अर्पित करें।
5. एकादशी की रात एक घी का दीपक जलाएं। अगले दिन हरि वासर समाप्त होने के बाद ही व्रत का पारण करें।