जयपुर : राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में कल यानी 11 जून एक अहम सियासी घटनाक्रम का साक्षी बनने जा रहा है. कल पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि है. सचिन पायलट के निमंत्रण पर दौसा आयोजित कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शिरकत करने जाएंगे. अशोक गहलोत की टीम ने उनके जाने के कार्यक्रम की पुष्टि की है. ऐसे में कहा जा सकता है कि कल के दिन की सियासी तस्वीर दोनों खेमों के बीच सियासी सीजफायर की प्रतीक बन सकती.

दरअसल तीन दिन पहले सचिन पायलट खुद अशोक गहलोत के जयपुर स्थित आवास पहुंचे और उन्हें दौसा आने का आमंत्रण दिया. गहलोत ने पायलट का स्वागत भी किया और सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए राजेश पायलट के साथ अपने पुराने संबंधों को याद किया था. उन्होंने लिखा कि “1980 में हम दोनों साथ में लोकसभा पहुंचे थे. उनका जाना पार्टी के लिए बहुत बड़ी क्षति थी.”
श्रद्धांजलि सभा को लेकर इस बार पायलट गुट पिछले 15 दिनों से एक्शन मोड में है. कांग्रेस के तमाम विधायकों, जिलाध्यक्षों और दिल्ली से लेकर यूपी तक के नेताओं को न्योता दिया गया है. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर रंधावा, कई सांसद, विधायक, पूर्व मंत्री, दिल्ली और यूपी से जुड़े नेता इस सभा में शामिल हो सकते हैं.
असल में गहलोत और पायलट के बीच वर्षों से चल रही सियासी तनातनी किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में गहलोत का दौसा जाना सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं बल्कि दोनों खेमों के बीच जमी सियासी बर्फ पिघलने का भी संकेत है. अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि गहलोत के दौसा पहुंचने पर वहां मौजूद पायलट समर्थक किस तरह का रिस्पॉन्स देते हैं और गहलोत पायलट के बीच सियासी अदावत से सियासी सीजफायर का सियासी भविष्य कितना लंबा चलेगा.