पुष्कर: विश्व प्रसिद्ध पुष्कर पशु मेला 2025 इस बार पशुधन बाजार के दो बिल्कुल अलग चेहरे दिखा रहा है। एक तरफ करोड़ों रुपये के भैंसे और घोड़े अपनी कीमत और शोहरत से मेले की शान बढ़ा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राजस्थान की पहचान कहे जाने वाले ऊंटों की हालत चिंता जनक बनी हुई है। कभी ‘रेगिस्तान के जहाज’ कहे जाने वाले ऊंट अब मात्र ₹10,000 से शुरू होने वाली कीमतों पर बिक रहे हैं।

मेले में इस बार मुर्रा नस्ल का भैंसा ‘बलबीर’, पंजाब की घोड़ी ‘नगीना’, और हरियाणा की ‘शहजादी’ जैसे पशु आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

डीडवाना के डूंगाराम का 35 महीने का ‘बलबीर’ इस मेले का स्टार पशु है। इसका वजन 800 किलो और ऊंचाई 5 फीट 8 इंच है। मुर्रा नस्ल का यह भैंसा अपनी ताकत और दुग्ध उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। इसके रखरखाव पर हर महीने करीब ₹35,000 खर्च होते हैं, लेकिन यह प्रजनन (Breeding) से हर महीने ₹80,000 तक कमाई कर रहा है।
डूंगाराम का दावा है कि आने वाले वर्षों में इसकी आय तीन गुना तक बढ़ सकती है। वहीं, ‘शहजादी’ नाम की सफेद घोड़ी अपने डांस मूव्स से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रही है, जिसकी कीमत ₹51 लाख है।
पंजाब से आई ‘नगीना’ नाम की घोड़ी ₹1 करोड़ से ज्यादा की बताई जा रही है और वह एयर कंडीशन वाले विशेष वाहन में मेले तक पहुंची है।

इसके उलट, ऊंट व्यापारियों के चेहरे मायूसी से भरे हैं। ऊंटों की कीमतें ₹20,000 से ₹1 लाख के बीच हैं, जबकि कुछ ऊंटों की बोली केवल ₹10,000 तक जा रही है। पिछले साल तो प्रतिबंधों के चलते कुछ ऊंट ₹1,500 में भी बिके थे।

हालांकि सरकार ने राजस्थान से बाहर ऊंटों के परिवहन पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है, लेकिन कड़े नियमों और सीमित मांग के कारण हालात अब भी सुधरे नहीं हैं।
इस बार मेले में करीब 5,000 ऊंट पहुंचे हैं, पर व्यापारियों का कहना है कि खरीदार नदारद हैं और बाजार में अब भी अनिश्चितता है।
