सपा मुखिया अखिलेश यादव कहते हैं राजनीति में त्याग की कोई जगह नहीं है. ये बात उन्होंने महाराष्ट्र में सीटों के बंटवारे पर कही थी, लेकिन राजनीति तो नदी की धारा है. अपने हिसाब से अपना रास्ता बना लेती है. रास्ते में रुकावट मिली तो किनारे से निकल लेती है. महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी इसी रास्ते पर है. पार्टी ने यूपी चुनाव में कांग्रेस के साथ जो किया वो सबके सामने है. अब कांग्रेस ने भी महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी पर वही दांव चल दिया है. जैसे को तैसा वाले फार्मुले पर. इस खेल में कांग्रेस के साथ उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना भी है. शरद पवार जरूर चाहते हैं बात न बिगड़े, सब साथ रहें.
इस दौरान समाजवादी पार्टी ने पांच टिकटों की घोषणा कर दी. अपने दो उम्मीदवारों के लिए अखिलेश ने चुनाव प्रचार भी किया. लखनऊ रवाना होने से पहले उन्होंने कम से कम 12 विधानसभा सीटों पर लड़ने की दावेदारी पेश कर दी. इससे पहले उन्होंने पार्टी के पांच सीनियर नेताओं को महाराष्ट्र चुनाव के लिए ऑब्जर्वर बना दिया था. उससे पहले पार्टी के सभी सांसद एक साथ मुंबई गए थे. लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद से ही समाजवादी पार्टी महाराष्ट्र में फुल एक्शन में थी. माहौल ऐसा तैयार किया गया था कि लोकसभा चुनाव की तरह ही पार्टी महाराष्ट्र चुनाव में इतिहास बनाने वाली है.
अब ज़रा आज की स्थिति परिस्थिति पर गौर करें. महाविकास अघाड़ी के घटक दल सीटों के बंटवारे पर आपस में बातचीत कर रहे थे. उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना, शरद पवार वाली एनसीपी और कांग्रेस ने आपस में अधिकतर सीटें बांट लीं, पर समाजवादी पार्टी की डिमांड पर कोई बात नहीं हो रही थी. समाजवादी पार्टी ने फिर अकेले ही चुनाव लड़ने की धमकी तक दे डाली, पर कुछ ही घंटों बाद संविधान और देश बचाने के नाम पर पार्टी ने अपनी स्टैंड बदल लिया. या फिर यूं कहें कि बदलना पड़ा. अबू आज़मी पार्टी के कार्यकर्ताओं से अपील कर रहे हैं अफ़वाहों पर ध्यान न दें. महाविकास अघाड़ी अटूट है. हम गठबंधन के साथ हैं और रहेंगे.