राजस्थान में बिजली संकट गहरा गया है। सीएम ने देर रात बिजली संकट को लेकर अफसरों के साथ बैठक की। मीटिंग में उद्योगों की बिजली काटकर किसानों और आम उपभोक्ताओं को देने का फैसला किया है। संकट के कारण किसानों को फसल की सिंचाई के लिए दिन की जगह रात की शिफ्ट में बिजली दी जाएगी।
दरअसल, अगस्त में मानसून धीमा पड़ने से प्रदेश में बिजली संकट खड़ा हो गया है। गर्मी बढ़ने से बिजली की डिमांड बढ़ गई है। बिजली विभाग की ओर से कटौती कर लोड मैनेजमेंट किया जा रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में बिजली कटौती की जा रही है। गांव-ढाणी के लोग बिजली कटौती से ज्यादा परेशान हैं।
सीएम ने देर रात बिजली संकट को लेकर अफसरों के साथ बैठक की।
प्रमुख प्रशासन सचिव ऊर्जा और अध्यक्ष डिस्कॉम भास्कर ए सावंत ने बताया- राज्य में बिजली की औसत खपत 3400 लाख यूनिट प्रतिदिन से भी ज्यादा हो गई है। बिजली की अधिकतम मांग करीब 17000 मेगावाट तक पहुंच गई है। इस बार बारिश नहीं होने से बिजली की डिमांड बढ़ गई है। डिमांड ज्यादा होने और सप्लाई कम होने की स्थिति में बिजली कटौती की जा रही है। ताकि डिमांड और सप्लाई में तालमेल बना रहे। पर्याप्त बिजली नहीं मिलने के कारण औद्योगिक और नगर पालिका क्षेत्र के साथ जिला मुख्यालयों पर घोषित कटौती के अलावा ग्रामीण इलाकों में आवश्यकतानुसार एक से डेढ़ घंटे की विद्युत कटौती की जा रही है।
ट्यूबवेल के जरिए हो रही सिंचाई, इसलिए लोड बढ़ा
राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (RUVNL) के एमडी एम एम रणवा ने कहा- अप्रैल-मई में बिपरजॉय तूफान के आने की वजह से खेतों में पर्याप्त नमी मिली। इसकी वजह से किसानों ने बुवाई का एरिया काफी बढ़ा दिया। फसल अगस्त से सितंबर महीने में तैयार हो जाती है तो उस समय बारिश का मौसम रहता है। खेतों में पानी भरा रहता है। इस बार अगस्त में पर्याप्त बारिश नहीं हुई। इसकी वजह से किसान ट्यूबवेल के सहारे फसलों की सिंचाई कर रहे हैं। इसकी वजह से भी लोड बढ़ा है।
कृषि कनेक्शन में भी काफी वृद्धि हुई
उन्होंने कहा- दूसरा एक बड़ा कारण यह भी है कि इस साल राज्य सरकार की ओर से कृषि कनेक्शन में भी काफी वृद्धि की गई है। इसकी वजह से पूरा लोड मैनेजमेंट सिस्टम पर पड़ा है। अगस्त से सितंबर महीने का समय पावर प्लांट्स के मेंटेनेंस का होता है, क्योंकि इस महीने में लोड कम होता है, इसलिए वार्षिक मेंटेनेंस किया जाता है। इसके चलते उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है। एक से दो दिनों में छाबड़ा और अन्य पावर प्लांट्स भी शुरू हो जाएंगे। इसके बाद उम्मीद है कि सप्लाई को हम पूरा कर पाएं।
उन्होंने कहा- थर्मल पावर प्लांट से बिजली कम मिल पा रही है। इसकी वजह से एक्सचेंज से महंगी बिजली भी खरीदनी पड़ रही है। रोजाना औसत बिजली खपत की बात करें तो 3200 लाख यूनिट प्रतिदिन में से 200 लाख यूनिट खरीदनी पड़ रही है।