राजस्थान: लोकसभा चुनाव के चलते राजस्थान में सियासी सरगर्मियां लगातार बढ़ती जा रही हैं. बात अगर भरतपुर-धौलपुर की करें तो इन जिलों में रहने वाले जाट समाज के लोग गुरुवार को कुम्हा गांव में एक महापंचायत करने वाले हैं, जिसमें भाजपा के पक्ष में वोट नहीं करने को लेकर सहमति बनाई जाएगी. दोनों जिलों के जाट केंद्र की सरकारी नौकरियों में ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं, जिस पर प्रदर्शन के बाद भी सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है. इसी के चलते भरतपुर-धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने लोग गांव-गांव में छोटी-छोटी रैली निकालने के साथ पोस्टर वितरण कर लोगों को भाजपा के पक्ष में वोट नहीं देने की अपील कर रहे हैं.
जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने कहा, ‘भरतपुर-धौलपुर जिलों के जाटों को केंद्र के ओबीसी वर्ग में आरक्षण की मांग को लेकर उच्चैन के गांव जयचोली में करीब 40 दिन तक महापड़ाव डाला था. उस दौरान केंद्र और राज्य सरकार से वार्ता का दौर चला. ईआरसीपी धन्यवाद यात्रा के दौरान जब राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा भरतपुर दौरे पर आए तब उन्होंने समिति के पदाधिकारियों से आरक्षण को लेकर नोटिफिकेशन लोकसभा चुनावों की आचार संहिता से पहले जारी करवाने का आश्वासन दिया था. लेकिन वो आश्वासन झूठा निकला और अभी तक कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ. इसी के चलते जाट आरक्षण संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने भाजपा के पक्ष में वोट नहीं देने को लेकर रैली निकाली. इसके अलावा रथ भी तैयार किया गया है जो गांव-गांव पहुंचकर लोगो से अपील करेगा.’
जाट समाज के करीब 5 लाख वोट
फौजदार ने आगे बताया, ‘इसके अलावा हम ऑपरेशन गंगाजल हेशटैग अभियान भी सोशल मीडिया पर चला रहे हैं. आज कुम्हा गांव में महापंचायत रखी गई है, जिसमें आसपास के करीब एक दर्जन गांव के जाट समाज के लोग भाग लेंगे.’ बताते चलें कि लोकसभा चुनाव में जाट समाज का वोट अहम है, क्योंकि जाट समाज के करीब 5 लाख के आसपास वोट हैं, जो लोकसभा चुनाव प्रत्याशी को हारने और जीताने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. कांग्रेस सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे विश्वेंद्र सिंह राज परिवार से आते हैं. जाट वोटों पर उनकी मजबूत पकड़ है. बात भाजपा की करें तो भरतपुर जिले की नदबई विधायक कुंवर से जगत सिंह तो डीग कुम्हेर विधायक डॉ शैलेश सिंह जाट समाज से ही है. अब देखना होगा जाट समुदाय किधर रुक करता है.