महाकुंभ (2025) : महाकुंभ के शुरू होने में भले ही अभी एक पखवाड़े से अधिक का समय बाकी है, लेकिन संगम समेत गंगा और यमुना के तटों पर अभी से श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी है. छुट्टी के दिन यहां श्रद्धालु बड़ी तादाद में अपने परिवार समेत संगम स्नान का पुण्य कमा रहे हैं. वहीं महाकुंभ के कारण घाट पर मौजूद सुविधाओं ने उन्हें पिकनिक मनाने का भी अवसर दे दिया हैण् इसी क्रम में श्रद्धालु किला घाट से ‘संगम नोज’ तक ऊंटों की सवारी का भी लुत्फ उठा रहे हैं.
ऊँट की सवारी करने वालो के लिए ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा दी गई है, इसके लिए ऊँटो के गले में यूपीआई बार कोड़ के कार्ड लगाये जायेंगे.

कितना होगा सवारी किराया
अधिकारियों ने बताया कि राजस्थान के जैसलमेर से आए ये ऊंट इस समय श्रद्धालुओं, खासकर बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. इन ऊंटों को इनके मालिकों ने रामू, घनश्याम और राधेश्याम जैसे मनमोहक नाम दिए हैं. ये ऊंट खासतौर पर महाकुंभ को देखते हुए यहां लाए गए हैं. एक ऊंट संचालक ने बताया कि यह ऊंट विशेष रूप से राजस्थान के जैसलमेर से आए हैं. कुल 50 ऊंट मेला क्षेत्र में लाए गए हैं. एक बार सवारी करने पर श्रद्धालुओं से 50 से 100 रुपये तक किराया लिया जाता है.
राजस्थान की विरासत के पर्याय इन ऊंटों को सवारियों के लिए आराम सुनिश्चित करने के लिए बड़े करीने से सजाया गया है और गद्देदार सीटों से सुसज्जित किया गया है. श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए इन ऊंटों को दुल्हन की तरह सजाया गया है. ऊंटों की देखभाल करने वाले ने बताया कि प्रत्येक ऊंट की कीमत 45,000 रुपये से 50,000 रुपये के बीच है.

प्रत्येक 12 वर्ष पर आयोजित होने वाले महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) से 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) तक प्रयागराज में किया जाएगा. इसकी अवधि कुल 45 दिनों की होगी. पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुंभ का पर्व मनाया जाता है. पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था.