बांग्लादेश में जारी हिंसा और कट्टरपंथी दंगों के बीच मेमनसिंह शहर में एक हिंदू युवक की नृशंस हत्या ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। राजधानी ढाका से लेकर चटगांव और खुलना तक हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। भारत विरोधी नारों के बीच अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर हिंदू, लगातार हमलों का सामना कर रहे हैं। मेमनसिंह में दीपू चंद्र दास नामक युवक को भीड़ द्वारा सरेआम जिंदा जलाए जाने की घटना ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है।

इस घटना पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा की गई बर्बरतापूर्ण हत्या बेहद चिंताजनक है। प्रियंका गांधी के अनुसार, किसी भी सभ्य समाज में धर्म, जाति या पहचान के आधार पर हिंसा और हत्या मानवता के खिलाफ अपराध है। उन्होंने भारत सरकार से अपील की कि वह पड़ोसी देश में हिंदू, ईसाई और बौद्ध अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा का संज्ञान ले और बांग्लादेश सरकार के समक्ष उनकी सुरक्षा का मुद्दा मजबूती से उठाए।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में दोबारा भड़की हिंसा और वहां हिंदू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने की घटनाएं अत्यंत निंदनीय हैं। गहलोत ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह तत्काल कूटनीतिक स्तर पर हस्तक्षेप कर बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
घटना के अनुसार, ढाका से लगभग 125 किलोमीटर दूर मैमनसिंह शहर में कट्टरपंथी भीड़ ने दीपू चंद्र दास को उसके घर से बाहर निकालकर बेरहमी से पीटा और फिर चौराहे पर जिंदा जला दिया। आरोप है कि उस पर इस्लाम की तौहीन का झूठा इल्जाम लगाया गया था। इस अमानवीय कृत्य के दौरान सैकड़ों लोग वीडियो बनाते रहे, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हुए। इसके बावजूद बांग्लादेश पुलिस की ओर से अब तक न तो एफआईआर दर्ज की गई है और न ही किसी गिरफ्तारी की पुष्टि हुई है।
बताया जा रहा है कि यह हिंसा उस समय भड़की जब इंकलाब मंच के नेता और शेख हसीना विरोधी आंदोलन के प्रमुख चेहरे शरीफ उस्मान हादी की मौत की घोषणा की गई। हादी को कुछ दिन पहले अज्ञात लोगों ने गोली मार दी थी और सिंगापुर में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। जैसे ही उनके निधन की पुष्टि हुई, पूरे बांग्लादेश में कट्टरपंथी सड़कों पर उतर आए और कई शहरों में आगजनी, तोड़फोड़ और हिंसा शुरू हो गई, जिसका सबसे बड़ा शिकार अल्पसंख्यक समुदाय बना।
