16 दिसंबर 1971 को भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऐतिहासिक विजय हासिल की थी। 13 दिनों तक चले भारत–पाक युद्ध का अंत पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण के साथ हुआ था, जिसके बाद बांग्लादेश को स्वतंत्रता मिली। भारतीय सशस्त्र बलों के अदम्य साहस के आगे पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े थे और करीब 93 हजार पाक सैनिकों ने सरेंडर किया था। विजय दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश के वीर सैनिकों और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने संदेश में कहा कि विजय दिवस पर वह भारत माता के वीर सपूतों को नमन करती हैं। उन्होंने कहा कि सैनिकों का साहस, पराक्रम और मातृभूमि के प्रति निष्ठा देश को सदैव गौरवान्वित करती रहेगी। राष्ट्रपति ने भारतीय सेना की ‘स्वदेशीकरण से सशक्तिकरण’ पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में सेना ने आत्मनिर्भरता, सामरिक मजबूती और आधुनिक युद्ध तकनीक का प्रभावी प्रदर्शन किया है, जो पूरे राष्ट्र के लिए प्रेरणा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विजय दिवस पर सैनिकों को याद करते हुए कहा कि 1971 में उनके साहस और बलिदान ने भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई। उन्होंने कहा कि सैनिकों की निस्वार्थ सेवा और दृढ़ संकल्प ने देश की रक्षा की और इतिहास में गौरवपूर्ण अध्याय जोड़ा। पीएम मोदी ने वीर जवानों को सलाम करते हुए कहा कि उनकी बहादुरी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संदेश में कहा कि 1971 में भारतीय सुरक्षा बलों ने अदम्य साहस और सटीक रणनीति के दम पर पाकिस्तानी सेना को पराजित कर आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया था। उन्होंने कहा कि यह विजय अन्याय और अत्याचार के खिलाफ मानवता की रक्षा का प्रतीक बनी और भारतीय सेनाओं की सैन्य क्षमता को दुनिया के सामने स्थापित किया। विजय दिवस पर उन्होंने युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों को नमन किया।
