प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर विशेष चर्चा की शुरुआत करते हुए इस गीत के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित किया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पार्टी और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर तीखा हमला बोला। पीएम मोदी ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत को गुलामी से मुक्त कराने का युद्धघोष था।
संसद में दिए गए अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने तुष्टीकरण की राजनीति के चलते ‘वंदे मातरम्’ को कमजोर करने की कोशिश की और इसके हिस्से कर दिए। उन्होंने कहा कि इसी मानसिकता के कारण देश को विभाजन जैसी त्रासदी का सामना करना पड़ा।
पीएम मोदी ने 1936 की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि मुस्लिम लीग और मोहम्मद अली जिन्ना ने ‘वंदे मातरम्’ का विरोध किया था, जिससे उस समय के कांग्रेस नेतृत्व में घबराहट पैदा हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि जवाहरलाल नेहरू ने इस मुद्दे पर कांग्रेस का पक्ष मजबूती से रखने के बजाय गीत की ही जांच शुरू करा दी।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जब ‘वंदे मातरम्’ के 100 साल पूरे हुए थे, तब देश आपातकाल की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था और संविधान को कुचल दिया गया था। उन्होंने आपातकाल को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का काला अध्याय बताया।
पीएम मोदी ने कहा कि बीते वर्षों में ‘वंदे मातरम्’ के साथ अन्याय हुआ, जबकि यह गीत आज़ादी की लड़ाई में जन-जन की आवाज बना था। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे इसके गौरवशाली इतिहास को जानें और समझें।
प्रधानमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि ‘वंदे मातरम्’ सिर्फ अंग्रेजों को देश से बाहर भगाने का नारा नहीं था, बल्कि यह मां भारती को हर तरह की गुलामी से मुक्त कराने का संकल्प था।
